कोरोना का दिल पर असर:कोरोना के बाद 70% लोगों को मायोकार्डिटिस की समस्या, ये लक्षण दिखें तो दिल का खास ख्याल रखने की है जरूरत
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कई मरीजों में कोविड-19 के दौरान या उससे ठीक होने के बाद दिल संबंधित या दूसरी बीमारियां और कॉम्प्लिकेशंस देखने को भी मिल रहे हैं। कई मरीज ऐसे हैं जिन्हें पहले से दिल से जुड़ी कोई दिक्कत नहीं रही, लेकिन उन्हें भी हार्ट अटैक हो रहा है। डॉक्टर्स का कहना है कि कम से कम 15-20% मरीजों में कोरोना वायरस दिल पर भी असर डाल रहा है। मेदांता के चेयरमैन और कार्डियोलॉजिस्ट डॉक्टर नरेश त्रेहान ने अपने एक इंटरव्यू में बताया है कि जिनके हार्ट में स्टेंट डाला गया है या फिर जिनकी बाईपास सर्जरी हुई है, कोरोना से संक्रमित होने के बाद ऐसे लोगों की दिक्कत ज्यादा बढ़ गई है।
चिंता की बात ये भी है कि कोरोना के कुछ मरीजों को पहले से दिल से जुड़ी कोई समस्या नहीं रही है, लेकिन उन्हें भी हार्ट अटैक का सामना करना पड़ रहा है। डॉक्टर त्रेहान का कहना है कि कोरोना की दूसरी लहर में पहले से दिल की बीमारी वाले बुजुर्गो की तुलना में युवा ज्यादा शिकार हो रहे हैं। कोरोना के युवा मरीजों में पल्मोनरी एडिमा (फेफड़ों में अचानक सूजन) देखी जा रही है। इसकी वजह से मरीजों को सांस लेने में दिक्कत होती है। लगभग 70 फीसदी लोगों को मायोकार्डिटिस (दिल की मांसपेशियों में सूजन) की समस्या हो रही है, जो उनके ठीक होने की संभावना कम कर रही है।
कुछ मरीजों में कोरोना से ठीक होने के बाद भी लगातार सांस लेने में दिक्कत, सीने में दर्द, कमजोरी, पल्स रेट का बढ़ना या कम होना जैसी समस्या आ रही है। पिछले साल हुई एक स्टडी के मुताबिक कोरोना से ठीक होने वाले 70% से अधिक लोगों को दिल से जुड़ी समस्या हुई है।
कोविड-19 और दिल का कनेक्शन
नेशनल हार्ट लंग एंड ब्लड इंस्टीट्यूट ने कोविड-19 की बीमारी और दिल के कनेक्शन को समझाने के लिए एक वीडियो बनाया है। इसमें बताया है कि कोरोना वायरस सीधे फेफड़ों पर असर करता है। इससे कई मरीजों का ऑक्सीजन लेवल कम होने लगता है। ऑक्सीजन की कमी, कुछ लोगों के दिल पर भी असर कर सकती है। ऐसा होने पर दिल की मांसपेशियों को ऑक्सीजन युक्त खून पंप करने के लिए ज्यादा मेहनत करनी पड़ती है, जिसका सीधा असर हार्ट के टिश्यू पर पड़ता है।
इससे शरीर में इंफ्लेमेशन होती है, लेकिन कभी-कभी ज्यादा इंफ्लेमेशन की वजह से हार्ट मसल पर बुरा असर पड़ता है। हार्ट बीट तेज हो सकती है, जिसकी वजह से हार्ट के खून पंप करने की क्षमता कम हो सकती है। जिनको ऐसी कोई बीमारी पहले से है, उनमें दिक्कत बढ़ भी सकती है।
कोरोना के इन मरीजों को है ज्यादा खतरा
फोर्टिस एस्कॉर्ट्स हार्ट इंस्टीट्यूट के चेयरमैन डॉक्टर अशोक सेठ ने अपने एक इंटरव्यू में बताया है कि ब्लड प्रेशर के मरीज, शुगर के पेशेंट और ज़्यादा मोटे लोगों में कोविड-19 बीमारी के दौरान दिल की बीमारी का रिस्क ज्यादा होता है। कई मरीजों में हार्ट संबंधी दिक्कतों के बारे में अस्पताल में रहते हुए ही पता चल जाता है। कइयों में अस्पताल से घर लौटने के तुरंत बाद और कइयों में एक से तीन महीने या उसके बाद ऐसी दिक्कतें देखने को मिल सकती हैं।
कोविड-19 के मरीज हार्ट पर खतरे के लक्षणों को ऐसे पहचानें
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