आदरणीय पेशेवर साथियों
नमस्कार
हैप्पी दीपावली, गोवर्धन और भाई दूज
ICAI के इलेक्शन की विस्तृत जानकारी
हमारी इंस्टिट्यूट ICAI की सेंट्रल काउंसिल तथा 5 रीजनल काउंसिलों के त्रिवार्षिक चुनाव दिनांक 3 व 4 दिसंबर 2021 को होंगे l इन चुनावों में काफी सारे नए युवा सदस्य पहली बार मतदान करेंगे l अनेक युवा सदस्यों को चुनाव प्रक्रिया की जानकारी नहीं होती है और अक्सर उनके द्वारा चुनाव प्रक्रिया के संबंध में प्रश्न पूछे जाते हैं l ऐसे युवा सदस्यों को ध्यान में रखते हुए मतदान प्रक्रिया के संबंध में सामान्य व प्रारंभिक जानकारी देने हेतु इस लेख में प्रयास किया गया है l कुछ आवश्यक जानकारियां निम्न है -
(1) सेंट्रल काउंसिल तथा रीजनल काउंसिल के चुनाव साथ साथ होंगे l दोनों चुनाव की प्रक्रिया लगभग समान है l प्रत्येक मतदाता को दो बैलट पेपर मिलेंगे एक सेंट्रल काउंसिल चुनाव के लिए और दूसरा अपनी रीजनल काउंसिल के चुनाव के लिए l सेंट्रल काउंसिल के बैलेट पेपर पर सेंट्रल काउंसिल के चुनाव के प्रत्याशियों के नाम, बैलेट नंबर, फोटोग्राफ आदि की जानकारी छपी रहेगी l रीजनल काउंसिल के बैलेट पेपर पर रीजनल काउंसिल के चुनाव के प्रत्याशियों की उक्त जानकारी छपी रहेगी l दोनों ही बैलट पेपर एक साथ मिलेंगे l मतदाता को दोनों ही बैलेट पेपर पर अलग-अलग अपना मत अंकित करके संबंधित बॉक्स में अलग-अलग डालना है l मतदान गुप्त मतदान प्रणाली से होता हैl
(2) मतदान किसी भी प्रकार के ऑनलाइन तरीके या इलेक्ट्रॉनिक तरीके से नहीं होता है यह केवल भौतिक तरीके से बैलेट पेपर के माध्यम से ही होता है l
(3) सामान्य तौर पर मतदाता को मतदान केंद्र पर जाकर वोट देना होता है l प्रत्येक मतदाता के लिए पहले से ही मतदान केंद्र निर्धारित होता है l उसे निर्धारित मतदान केंद्र पर जाकर ही मतदान करना होता है l मतदान केंद्र इंस्टीट्यूट के रिकॉर्ड में अंकित सदस्य के व्यवसायिक पते के आधार पर निर्धारित किया जाता है l किन्ही किन्ही मामलों में पोस्टल बैलट की सुविधा भी प्रदान की जाती है l
(4) दिसंबर 2021 के चुनाव से एक नई सुविधा प्रदान की गई है जिसके अनुसार मतदाता इंस्टिट्यूट को ऑनलाइन आवेदन देकर अपने प्रोफेशनल एड्रेस के आधार पर निर्धारित किए गए मतदान केंद्र को बदलवा सकता है l तथा अन्य किसी मतदान केंद्र पर मत डालने की सुविधा प्राप्त कर सकता है l नया मतदान केंद्र अपने रीजन के भीतर अथवा अपने रीजन के बाहर किसी अन्य रीजन में भी लिया जा सकता है l मतदान केंद्र बदलवाने से इंस्टीट्यूट के रिकॉर्ड में सदस्य का जो प्रोफेशनल ऐड्रेस है वह पूर्ववत ही रहेगा l उसने अपने आप कोई परिवर्तन नहीं होगा l मतदान केंद्र बदलवाने हेतु ऑनलाइन रिक्वेस्ट के लिए लिंक निम्न है -
https://changebooth.icai.org/
(5) सेंट्रल इंडिया रीजनल काउंसिल मैं 12 रीजनल काउंसिल मेंबर का चुनाव होना है तथा इसी रीजन से सेंट्रल काउंसिल के कुल 32 सदस्यों में से 6 सदस्यों का चुनाव होना है l इस रीजन से सेंट्रल काउंसिल के लिए कुल 18 तथा रीजनल काउंसिल के लिए कुल 26 प्रत्याशी खड़े हैं l उक्त दोनों चुनाव हेतु प्रत्येक रीजन की अपनी अलग अलग सीटें तथा अपने अलग-अलग प्रत्याशी हैं l
(6) सेंट्रल रीजन मैं उक्त 12 रीजनल तथा 6 सेंट्रल काउंसिल सीटों के लिए कुल 7 राज्यों ( मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, राजस्थान, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, झारखंड तथा बिहार) के मतदाता मतदान करेंगे l प्रत्याशी भी इन्हीं राज्यों के रजिस्टर्ड मतदाताओं में से ही हो सकते हैं l
(7) मतदान की पात्रता केवल उन्हीं सदस्यों को है जिनका नाम मतदाता सूची में है l सामान्यतया जो सीए दिनांक 1 अप्रैल 2021 को इंस्टीट्यूट के सदस्य रहे है उन सभी को इस चुनाव में संबंधित रीजन मैं वोट डालने की पात्रता हैं l बाद में बने हुए सदस्यों को इस चुनाव में वोट डालने की पात्रता नहीं है l
(8) मतदान की पात्रता हेतु केवल इंस्टिट्यूट की सदस्यता ही आवश्यक है l सदस्य के पास COP होना अनिवार्य नहीं है l नौकरी पेशा और प्रैक्टिस करने वाले सभी पात्र सदस्य वोट कर सकते हैं l वोट की पात्रता, वोट का माध्यम तथा निर्धारित मतदान केंद्र जानने हेतु निम्न लिंक है -
https://appforms.icai.org/elections/knowyourbooth2021.html
(9) रीजन के उक्त सभी राज्यों के लिए सीटें कामन है l राज्यवार सीटें निर्धारित नहीं है l ( हालांकि राज्यवार मतदाता संख्या, अनुमानित वोटिंग परसेंट, पूर्व के चुनाव परिणाम आदि के आधार पर अक्सर यह अनुमान लगाए जाते हैं कि किस राज्य से अनुमानित कितने प्रत्याशी जीत सकते हैं ) l किसी भी राज्य का मतदाता किसी भी राज्य के प्रत्याशी को वोट दे सकता है l प्रत्येक मतपत्र में सभी प्रत्याशियों की जानकारी होती है l
(10) जीते हुए प्रत्याशी बाद में अपने भीतर से ही पदाधिकारियों का चुनाव करते हैं l
(11) सेंट्रल व रीजनल काउंसिल के चुनाव संपन्न हो जाने के बाद इंस्टीट्यूट की अलग-अलग शहरों में स्थापित शाखाओं की कमेटियों के सदस्यों के चुनाव होते हैं l
(12) मतदान हेतु सिंगल ट्रांसफरेबल वोटिंग सिस्टम ( अन्य नाम प्रेफरेंशियल वोटिंग सिस्टम) अपनाया जाता है l इसके अंतर्गत मतदाता द्वारा प्रत्याशियों को अपनी पसंद के अनुसार पहली, दूसरी, तीसरी आदि प्रेफरेंस दी जाती है l उदाहरण के लिए काल्पनिक प्रत्याशी K को फर्स्ट प्रेफरेंस, काल्पनिक प्रत्याशी S को सेकंड प्रेफरेंस , काल्पनिक प्रत्याशी D को थर्ड प्रेफरेंस आदि l इस हेतु मतपत्र में प्रत्येक प्रत्याशी के नाम के आगे निर्धारित स्थान होता है जहां पर '1', '2', '3' आदि निर्धारित तरीके से लिखना होता है ( निर्धारित तरीके हेतु कृपया संबंधित नियम देखें) l
(13) निर्धारित तरीके के अलावा अन्य किसी तरीके से अथवा किसी भी प्रकार की भूल से मतपत्र अमान्य हो सकता है l उदाहरण के लिए '1', '1', '2' - यहां एक ही प्रेफरेंस दो अलग-अलग लोगों को दे दी गई है l '2', '3', '4' - यहां प्रेफरेंस क्रम से नहीं दी गई है तथा फर्स्ट प्रेफरेंस भी नहीं बताया गया है ( कृपया संबंधित नियम देखें) l
(14)मतदाता चाहे तो केवल किसी एक प्रत्याशी को अथवा एक से अधिक प्रत्याशी को अथवा सभी प्रत्याशियों को अपने मतपत्र में प्रेफरेंस दे सकता है ( निर्धारित क्रम का अवश्य ध्यान रखें) l मान लीजिए केवल काल्पनिक प्रत्याशी L को ही फर्स्ट प्रेफरेंस वोट देकर वोट प्रक्रिया समाप्त कर दी गई l अथवा काल्पनिक प्रत्याशी L और A केवल दोनों को ही प्रेफरेंस देकर वोट प्रक्रिया समाप्त कर दी गई अथवा सभी काल्पनिक प्रत्याशी L, A, R को प्रेफरेंस मार्क की गई l
(15) प्रत्येक मतदाता को दोनों ही चुनाव के लिए केवल 1-1 मतपत्र मिलता है l इसी मतपत्र में उक्त एक या अधिक प्रेफरेंस देना होती है l मतदाता को दोनों ही चुनाव के लिए अलग-अलग '1', '2', '3' आदि प्रेफरेंस देना होती है l इसी प्रेफरेंस के अनुसार हारे हुए (एलिमिनेट हुए) प्रत्याशी के वोट तथा ज्यादा वोटों से जीते हुए प्रत्याशी के सर प्लस वोट अन्य प्रत्याशियों को ट्रांसफर हो जाते हैं l
(16) प्रत्येक मतदाता के पास उक्त दोनों ही चुनाव में केवल एक एक वोट ही होता है l मतदाता जिस प्रत्याशी को मूल रूप से वोट देना चाहता है उसे फर्स्ट प्रेफरेंस मार्क करना होता है l फर्स्ट प्रेफरेंस का ही सर्वाधिक महत्व होता है l दूसरी, तीसरी आदि प्रेफरेंस कोई अलग से वोट नहीं होते हैं बल्कि इनके माध्यम से तो मतदाता केवल यह बताता है कि उसका वोट (हारे हुए प्रत्याशी अथवा सर प्लस वोट से जीते हुए प्रत्याशी के मामले में) किन-किन अन्य प्रत्याशियों को, किस-किस क्रम में ट्रांसफर करना है l मान लीजिए काल्पनिक प्रत्याशी K, S, D मैं यदि K को मूल रूप से वोट देना चाहते हैं तो उसे ही फर्स्ट प्रेफरेंस मार्क करना होगा l
(17) लेखक की समझ के अनुसार सामान्य भाषा में कहें तो यदि फर्स्ट प्रेफरेंस वाला प्रत्याशी जीत जाता है तो सामान्य तौर पर मतदाता का वोट फर्स्ट प्रेफरेंस वाले प्रत्याशी के लिए कंज्यूम हो जाता है l परंतु यदि फर्स्ट प्रेफरेंस वाला प्रत्याशी चुनाव नहीं जीतता है तो वोट उस प्रत्याशी को ट्रांसफर हो जाता है जिसे सेकंड प्रेफरेंस लगाया गया है l यदि सेकंड प्रेफरेंस वाला प्रत्याशी जीत जाता है तो वोट सेकंड प्रेफरेंस वाले प्रत्याशी के यहां कंज्यूम हो जाएगा l परंतु यदि सेकंड प्रेफरेंस वाला प्रत्याशी भी नहीं जीतता है तो फिर वह वोट थर्ड प्रेफरेंस वाले प्रत्याशी को ट्रांसफर हो जाएगा l इसी तरह से आगे का क्रम भी चलेगा l यह तो हुई हारे हुए प्रत्याशी की बात l अब जीते हुए प्रत्याशी की बात करें तो किसी भी प्रत्याशी को जीतने के लिए वोटों की एक निर्धारित संख्या निकाली जाती है उसे 'कोटा' कहा जाता है l 'कोटा' हासिल करने वाला प्रत्याशी विजयी माना जाता है l यदि कोई प्रत्याशी निर्धारित 'कोटा' से ऊपर वोट लाता है तो 'कोटा' के ऊपर आए सर प्लस वोट निश्चित फार्मूले से नवीन मूल्य निकालकर अन्य प्रत्याशियों को प्रेफरेंस के क्रम में ट्रांसफर कर दिए जाते हैं ( इसमें अनेक कॉम्प्लिकेशन तथा बारीकियां है l पूर्ण जानकारी हेतु कृपया संबंधित नियम देखें) l
(18) वैसे वास्तव में देखा जाए तो केवल हारे हुए प्रत्याशी के ही वोट अन्य प्रत्याशियों को प्रेफरेंस के क्रम में ऐसे के ऐसे ही ट्रांसफर होते हैं l जबकि जीते हुए प्रत्याशी के सर प्लस वोट एक निश्चित फार्मूले से नवीन मूल्य निकालकर अन्य प्रत्याशियों को ट्रांसफर होते हैं l
(19) जरूरी नहीं है, परंतु अक्सर यह देखा गया है कि जीते हुए प्रत्याशी के सर प्लस वोट का मूल्य कम रहता है जबकि एलिमिनेट हुए प्रत्याशी के जो फर्स्ट प्रेफरेंस वोट ट्रांसफर होकर आते हैं उनका मूल्य पूरा 100% परसेंट होता है l अर्थात जीते हुए प्रत्याशी के सर प्लस वोट से प्राप्त ट्रांसफर का अन्य प्रत्याशियों को सामान्य तौर पर इतना फायदा नहीं मिलता है जितना कि हारे हुए प्रत्याशी से प्राप्त वोट से मिलता है l
(20) अब बात करते हैं कि किस प्रकार से मतगणना होती है, किस प्रकार से वोट प्रत्याशियों के मध्य ट्रांसफर होते हैं तथा किस प्रकार से प्रत्याशी जीतते अथवा हारते हैं l इस हेतु जैसा कि ऊपर बताया गया है सबसे पहले किसी भी प्रत्याशी को जीतने के लिए आवश्यक वोटो की एक निर्धारित संख्या निकाली जाती है जिसे 'कोटा' कहा जाता है l उदाहरण के लिए काल्पनिक रूप से मान लीजिए कि किसी रीजन में कुल 26000 वैलिड वोट डलते हैं और कुल 12 सीटों का चुनाव है तथा कुल 26 प्रत्याशी हैं तो ऐसे में कोटा {26000 ÷ (12 सीट + 1)} = 2000 वोटों का आएगा l मतगणना के प्रथम चरण में सभी प्रत्याशियों के फर्स्ट प्रेफरेंस वोटों की गणना की जाती है जो प्रत्याशी 'कोटा' हासिल कर लेते हैं वे विजयी घोषित हो जाते हैं l यदि कोई प्रत्याशी 'कोटा' से अधिक वोट हासिल करता है तो उसके सर प्लस वोट नवीन मूल्य पर अन्य प्रत्याशियों को ट्रांसफर हो जाते हैं l उसके बाद फिर जो प्रत्याशी मूल वोट + ट्रांसफर हुए वोट मिलाकर 'कोटा' हासिल कर लेता है तो वह भी विजयी घोषित किया जाता है l यदि किसी प्रत्याशी के मूल वोट + ट्रांसफर हुए वोट मिलाकर 'कोटा' से ऊपर होते हैं तो फिर पुनः उसके सर प्लस वोट ऊपर बताया अनुसार अन्य प्रत्याशियों को ट्रांसफर हो जाते हैं l ऐसे अनेक राउंड होते हैं जब तक की प्रत्याशी 'कोटा' हासिल करते रहते हैं तथा उनके सर प्लस वोट ट्रांसफर होते रहते हैं l जब यह स्थिति समाप्त हो जाती है और सभी सीटें नहीं भर पाती है तो फिर एलिमिनेशन राउंड प्रारंभ किया जाता है l इसके अंतर्गत इस राउंड के समय जिस प्रत्याशी के कुल मूल वोट + ट्रांसफर में आए वोट आदि सबसे कम होते हैं उसे एलिमिनेट कर दिया जाता है और उसके वोट प्रेफरेंस के अनुसार अन्य प्रत्याशियों को ट्रांसफर कर दिए जाते हैं l फिर पुनः देखा जाता है कि क्या किसी प्रत्याशी ने 'कोटा' हासिल कर लिया है तो उसे विजयी घोषित किया जाता है l यदि कोई प्रत्याशी कोटे से ऊपर वोट हासिल कर लेता है तो फिर उसके सर प्लस वोट ऊपर बताया अनुसार अन्य प्रत्याशियों को ट्रांसफर कर दिए जाते हैं l फिर ऐसे अनेक राउंड होते रहते हैं जिसमें प्रत्याशी 'कोटा' हासिल करते रहते हैं, उनके सर प्लस वोट अन्य प्रत्याशियों को नवीन मूल्य पर ट्रांसफर होते रहते हैं तथा सबसे कम वोट वाले प्रत्याशी एलिमिनेट होते रहते हैं l ऐसा तब तक होता रहता है जब तक कि कुल 12 प्रत्याशी विजयी नहीं हो जाते अथवा विजयी + एलिमिनेट होने से रह गए प्रत्याशी कुल 12 सीट के बराबर ना हो जाए l इस प्रकार से प्रत्याशी निर्धारित वोट का 'कोटा' हासिल करके विजयी होते हैं अथवा एलिमिनेट होने से रह जाने पर भी विजयी होते हैं l अर्थात जरूरी नहीं है कि प्रत्येक प्रत्याशी जो विजयी हुआ है उसने कोटा हासिल किया ही हो l बगैर कोटा हासिल किए भी कोई प्रत्याशी एलिमिनेशन से बचकर भी विजयी हो सकता है l अक्सर देखा गया है कि सभी प्रत्याशी 'कोटा' हासिल नहीं कर पाते हैं l अंत में जो प्रत्याशी एलिमिनेशन से बच पाने की वजह से विजयी होते हैं उनका अक्सर 'कोटा' हासिल नहीं होता है l आखरी में जीते हुए प्रत्याशियों के मामले में 'कोटा' हासिल नहीं होने के अनेक व्यावहारिक कारण होते हैं जिसमें से एक मुख्य कारण वोटों का सेकंड प्रेफरेंस आदि के अभाव में ट्रांसफर नहीं हो पाना अथवा ट्रांसफर के दौरान वोटों के मूल्य का कम हो जाना होता है l अर्थात प्रत्याशी को जीतने के लिए कोटा हासिल करने से ज्यादा महत्वपूर्ण अपने नजदीकी प्रत्याशी से मतगणना के हर राउंड में ऊपर रहना होता है l
(21)नियमों में तो कहीं नहीं बताया गया है परंतु प्रेफरेंशियल वोटिंग सिस्टम समझने हेतु हम एक छोटा सा सरल एवं काल्पनिक उदाहरण लेते हैं l मान लीजिए कि कोटा 2000 वोट का है l एक काल्पनिक प्रत्याशी X को कुल 2100 फर्स्ट प्रेफरेंस वोट प्राप्त हुए, काल्पनिक प्रत्याशी Y को कुल 1800 फर्स्ट प्रेफरेंस वोट प्राप्त हुए तथा काल्पनिक प्रत्याशी Z को कुल 1100 फर्स्ट प्रेफरेंस वोट प्राप्त हुए तथा एक अन्य काल्पनिक प्रत्याशी को 1300 फर्स्ट प्रेफरेंस वोट प्राप्त हुए l प्रत्याशी X के सर प्लस वोट में से मान लीजिए प्रत्याशी Y को 20 वोट प्रत्याशी Z को 10 वोट तथा अन्य प्रत्याशी को 2 वोट बराबर मूल्य लाभ मिला l बाकी वोटों का मूल्य हास हो गया l अब ऐसे में प्रत्याशी Z के सबसे अंतिम स्थान पर होने की वजह से एलिमिनेशन होने की संभावना रहेगी l और फिर आगे की प्रक्रिया चलेगी l अब हम उक्त उदाहरण में अन्य काल्पनिक परिस्थिति देखते हैं l मान लीजिए प्रत्याशी X को फर्स्ट प्रेफरेंस के कुछ कम कुल 1900 वोट मिले, प्रत्याशी Y को फर्स्ट प्रेफरेंस के कुछ कम कुल 1700 वोट मिले और प्रत्याशी Z को कुछ ज्यादा कुल 1400 फर्स्ट प्रेफरेंस वोट मिले और अन्य प्रत्याशी को पूर्ववत 1300 वोट मिले l ऐसे में प्रत्याशी Z के बजाय अन्य प्रत्याशी के एलिमिनेशन की संभावना होगी l ऐसे में अन्य प्रत्याशी के सेकंड आदि प्रेफरेंस के माध्यम से प्रत्याशी X, Y और Z का कोटा हासिल होकर जीतने की संभावना रहेगी अथवा उच्च स्थान पर होने की वजह से एलिमिनेशन से बचकर भी उक्त 3 प्रत्याशियों के जीतने की संभावना रहेगी l यहां ऐसा हुआ हो सकता है कि कुछ मतदाताओं ने प्रत्याशी X और Y की मजबूत स्थिति को देखते हुए उन्हें फर्स्ट प्रेफरेंस वोट ना देते हुए सेकंड आदि प्रेफरेंस दी हो तथा प्रत्याशी Z को फर्स्ट प्रेफरेंस वोट दिया हो l ऐसा इसलिए भी होता है क्योंकि कई बार मतदाताओं की यह मानसिकता भी होती है कि वे अधिक मजबूत प्रत्याशी को संभावित रूप से जीता हुआ मानकर कम मजबूत योग्य प्रत्याशी को फर्स्ट प्रेफरेंस वोट दे देते हैं जिससे या तो कम मजबूत योग्य प्रत्याशी भी जीत जाए अथवा वह किसी कारणवश नहीं जीत पाता है तो उनका वोट पुनः पलट कर सेकंड आदि प्रेफरेंस के माध्यम से मजबूत प्रत्याशी को लौटकर चला जाए l प्रथम और द्वितीय काल्पनिक उदाहरण में जो परिस्थिति बनी है वह यह है कि मजबूत प्रत्याशी की जो जीत केवल फर्स्ट प्रेफरेंस वोट के माध्यम से हो रही थी वह दूसरे उदाहरण में फर्स्ट एवं सेकंड आदि दोनों प्रकार के वोट के माध्यम से हो रही है l भिन्न भिन्न परिस्थितियों के अनुसार अनेक उदाहरण और भी हो सकते हैं l
(22) उक्त लेख अपनी समझ के अनुसार लिखा है कल्पनाएं भी अपनी समझ के अनुसार दी गई है l किसी भी प्रकार की भूल के लिए क्षमा प्रार्थी हूं l उक्त जानकारी केवल मोटी मोटी जानकारी है इसमें अनेक बारीकियां है जिसे इंस्टीट्यूट के पब्लिकेशंस से समझा जा सकता है l उसकी लिंक निम्न है-
https://resource.cdn.icai.org/52456election2018-42080-a.pdf